Saturday, 29 January 2022

पानी पेट का सवाल है भाई

सारा काम समाप्त कर बिस्तर पर लेटी ही थी
ख्याल आया सुबह का
क्या नाश्ता बनेगा
क्या खाना बनेगा
पानी समय से आएगा या नहीं 
कौन सी सब्जी है
क्या सामान मंगवाना है
यह सोचते सोचते ऑख लग गई
सुबह अलार्म बजा
हड़बड़ाकर  उठी
पानी आ गया था
दूध गरम करने को रख दिया
चाय चढा दी
उसी में अपना कुछ वैयक्तिक कार्य भी करती रही
सब निपटाते दोपहर होने को आई
खाना खाकर लेटी ही थी
शाम के चाय - नाश्ते और रात के खाने का विचार
फिर वही सब्जी और सामान घुमाने लगे
सोचने लगी
भोजन के सिवा और कुछ ख्याल नहीं 
हम खाने के लिए जीते हैं 
जीने के लिए खाते हैं 
सोच सोच कर असमंजस में पड गई
पेट ही सब कुछ है
पेट की स्वच्छता से शुरूआत 
पेट भरने तक
इसी में सब लगे हुए हैं 
अगर पेट न हो तो कोई काम ही न करें 
वह चाहे कोई भी जीव हो
पेट ने बांध रखा है अपने से
उसी के लिए सुबह से ही जद्दोजहद शुरू 
न जाने कितने पाप बेलने  पडते हैं 
तब जाकर यह पेट भरता है
यह कहावत ऐसे ही नहीं बनी
पापी पेट का सवाल है भाई

No comments:

Post a Comment