Saturday, 29 January 2022

मेहमान ही समझो

आजकल टेलीविजन पर एक विज्ञापन आता है
हमें घर के मत समझो 
मेहमान ही समझो
मेहमानों को अच्छे बर्तन में स्वागत
हमें तो पुरानी स्टील की प्लेट 
वह भी दादाजी के नाम की खुदी हुई

कहीं ऐसा तो नहीं 
हम घर के व्यक्तिओ को टेक फाॅर ग्रान्टेड ले लेते हैं 
अच्छा खाना
अच्छा बिस्तर
अच्छे सामान
यह सब मेहमानों के  खाते में 
उनके लिए बचाकर रखना
यह सही है
भारतीय परंपरा में मेहमान भगवान होता है
दिखावा भी करना पडता है 
अपनी हैसियत दिखाने के लिए 
भले ही वह पडोसी से मांगा हुआ हो
और यह सब कौन करता है
मध्यम वर्ग 

गरीब के घर जो है
वह खुद भी खाएगा 
मेहमान को भी देगा
अमीर को किसी बात की कमी नहीं 
तब दिखावा करने का सवाल ही नहीं 
रहा बेचारा 
मिडिल क्लास 
अपने सूखी रोटी खाएगा
मेहमान के लिए 
पुरी - परांठा , मटर पनीर , गाजर का हलवा
यह सब देगा 
जिससे उसका एक हफ्ते का बजट गडबडा जाएंगा
पर असलियत नहीं आने देगा

क्या फायदा इससे
अच्छा जीने और रहने का हक सबका
तब अतिथि के नाम पर
जो हैं जैसे हैं 
वैसे रहिए
परिवार के सदस्य को भी सबका आनंद लेने दे

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