Wednesday, 2 February 2022

आज की नारी

नारी और पुरुष समान
कहने को तो ठीक है
यह इतना नहीं आसान
पुरुष का पौरूष 
इस बात को आसानी से स्वीकार नहीं करता 
वह डरता है 
उसकी प्रतिभा से
उसकी उच्च आकांक्षाओं  से
उसे तो बस ऐसी चाहिए 
जो उसका घर और बच्चे तथा परिवार संभाले
उसकी बात का जवाब न दे
आजकल घर में उसकी आर्थिक भागीदारी भी
बाहर कुछ भी हो
घर में गृहणी बन कर रहें 
उसका अहम् 
उसका स्वाभिमान 
उसकी इज्जत और मान - सम्मान 
सबका दारोमदार उसी पर
कहीं न कहीं एक काम्प्लैक्स  होता है उसके मन में 
कभी वह दिखाई देता है कभी नहीं 
हाँ उसकी जीवनसंगिनी को 
यह हर पल अनुभव होता रहता है
सदियों से राज किया है इस वर्ग ने
औरत के तन और मन पर
वह इतनी जल्दी खत्म होने वाला नहीं 
इस द्वंद्व  में पीसती रहती है वह औरत
घर और बाहर दोनों जगह तालमेल बिठाने में 
ऊपर से इस पति रूपी जीव को संभालने में 
प्यार की बडी कीमत चुकानी पडती है उसे
इसे हर कोई समझ नहीं सकता
जिस पर बीतती है
वही जानता है 

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