कभी-कभी मन करता है
कुछ न बोलो
कुछ भी न बोलो
बस खामोश रहो
न किसी से सवाल
न किसी से जवाब
न किसी से उलझना
न किसी से तर्क वितर्क
बस सबसे दूर
अपने आप में मशगूल
तब कितनी शांति
न झिकझिक
न टिक टिक
न कोई झंझट
न कोई तकरार
न इकरार
न इसरार
तब कितनी शांति
यह शांति शायद किसी को रास आती
किसी को नहीं
लेकिन फिर भी कुछ बात तो है
खामोशी भी लाजवाब है
कभी-कभी मन करता है
कुछ न बोलो
कुछ भी न बोलो
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