बिन बोले सब कुछ जान जाती है माँ
चेहरे के हर भाव को पढ लेती है माँ
ध्यान से देखती है निहारती है
पता नहीं क्या ढूढती है मुझमें
मन के भावों को छुपाना चाहती हूँ
तुमसे दूर जाना चाहती हूँ
तुम्हारा मन न दुखे यह भरसक कोशिश करती हूँ
पता नहीं कौन सी ज्योतिष विद्या सीखी है तुमने
सब कुछ अपने आप जान जाती हो
नहीं चाहती तुम्हें दुखी करना
पता है न
तुम माँ हो भाग्य-विधाता नहीं
वह होती तब तो कुछ और बात होती
सारे संसार की खुशियाँ तुम मेरी झोली में डाल देती
खैर कोई बात नहीं
ईश्वर न हो तब भी माँ तो हो ही
तुम ईश्वर से कम थोड़े ही हो
भगवान से तो प्रार्थना करनी पडती है कुछ पाने के लिए
तुम पर तो अधिकार है तभी तो छीन कर ले लेते हैं
ऊपर से चार बात भी सुनाते हैं
इतना नखरे कौन सहेगा
बिन स्वार्थ के कौन पूछेगा
वह तो बस तुम ही हो सकती हो
मेरी सारी बुराइयों को नजरअंदाज कर
मुझे पलकों पर बिठाने वाली
मेरे लिए किसी से भी लड जाने वाली
अपनी परवाह न कर
हर पल मेरी खिदमत में तत्पर
जैसे मैं कोई महारानी हूँ
आर्डर दू और वह तुरंत हाजिर
नहीं चाहती राज पाट
नहीं चाहती सुख - सुविधा
बस तुम्हारा हाथ सर पर रहें
तुम शतायु हो
जीती रहो और मेरे आसपास डोलती रहो
ईश्वर की शुक्रगुजार हूँ
वह तो साक्षात नहीं अवतरित हो सकता
तुमको भेज दिया बस काफी है
बरखा बिन सागर कौन भरे
माता बिन आदर कौन करें
Happy Mother's day
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