Tuesday, 10 May 2022

सोशल मीडिया और माँ

कल से आज तक माँ  छायी हुई  है 
फेसबुक  और सोशल मीडिया  पर 
यह तो आज की हकीकत  है
दिखाना पडता है
दर्शाना पडता  है 
विज्ञापन का जमाना है 
सबको पता कैसे  चलेगा 
अच्छा  है 
इसी बहाने एक दिन ही सही
जो भूले होंगे  
वह भी याद कर लेंगे 

माॅ  तो आज की है नहीं 
शाश्वत  है 
मीडिया  में  हो न हो
दिलों  में  हमेशा विद्यमान  रहती है 
यशोदा  का प्रेम  अमर है
बिना जन्म  दिए भी माता  का प्यार  
वह तो एक मिसाल  है 
माॅ  किसी परिचय  की मोहताज  नहीं 

जब जब चोट लगती है
तब तब माँ  ही याद  आती है
भूख लगती है तब भी
पीड़ा होती है तब भी
अपने बच्चों  के लिए  
भीगी बिल्ली  भी बन जाती है
शेरनी  भी बन जाती है
किसी  के  आगे झुक जाती है
किसी  से भी पंगा ले सकती है

अपनी सामर्थ्य  से ज्यादा 
बच्चों  के  दिल में  माॅ बसे या न बसे
माँ  के  दिल में  बच्चे  अवश्य  निवास करते हैं 
उसके बच्चे  में  सारी खुबियां
वह भी केवल उसी को  दिखाई देती है
तभी तो कहते हैं 
पुत्र  कुपुत  भले हो 
          माता हुई न कुमाता

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