कल से आज तक माँ छायी हुई है
फेसबुक और सोशल मीडिया पर
यह तो आज की हकीकत है
दिखाना पडता है
दर्शाना पडता है
विज्ञापन का जमाना है
सबको पता कैसे चलेगा
अच्छा है
इसी बहाने एक दिन ही सही
जो भूले होंगे
वह भी याद कर लेंगे
माॅ तो आज की है नहीं
शाश्वत है
मीडिया में हो न हो
दिलों में हमेशा विद्यमान रहती है
यशोदा का प्रेम अमर है
बिना जन्म दिए भी माता का प्यार
वह तो एक मिसाल है
माॅ किसी परिचय की मोहताज नहीं
जब जब चोट लगती है
तब तब माँ ही याद आती है
भूख लगती है तब भी
पीड़ा होती है तब भी
अपने बच्चों के लिए
भीगी बिल्ली भी बन जाती है
शेरनी भी बन जाती है
किसी के आगे झुक जाती है
किसी से भी पंगा ले सकती है
अपनी सामर्थ्य से ज्यादा
बच्चों के दिल में माॅ बसे या न बसे
माँ के दिल में बच्चे अवश्य निवास करते हैं
उसके बच्चे में सारी खुबियां
वह भी केवल उसी को दिखाई देती है
तभी तो कहते हैं
पुत्र कुपुत भले हो
माता हुई न कुमाता
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