Wednesday, 4 May 2022

मुंबई मेरी जान

मेरा शहर मुझे प्यारा है
यह सबसे न्यारा है
यहाँ हर कोई निराला है
सबके सपने सबकी बातें
सबका भोजन
सबके बोल
सबका अंदाज
नहीं किसी से किसी की तुलना
यहाँ सब अपने आप में दीवाने
नहीं किसी को किसी की खबर
मनती है यहाँ हर रोज दीवाली
लगते हैं यहाँ हमेशा मेले
भीड़ में भी यहां हर कोई अकेला
सडकों पर मोटर कारों का रेला
सब अपनी धुन में दौड़ रहे
नहीं फुरसत किसी को
आगे पीछे ' दाएं बाएं देखने की
बस यह हरदम भागता - दौड़ता
कोई दौड़ में आगे निकल जाता
कोई पीछे रह जाता
पर कोशिश कोई नहीं छोड़ता
चलता ही रहता
चलते चलते मंजिल तक पहुंच ही जाता
यह सबको अपनाता
नहीं किसी को दुत्कारता
मजहब - धर्म से परे
यहाँ इंसानियत का तकाजा
भाषा - प्रांत से नहीं कोई सरोकार
सबसे निभाता प्रेम का रिश्ता
जो इससे प्रेम करता
उसे दिल खोलकर देता
यहाँ नहीं कोई उपेक्षित
हर आगंतुक को गले लगाता
जो एक बार यहाँ आता
यही का होकर रह जाता
भारत क्या 
विश्व के किसी भी देश में मन नहीं रमता
तभी तो यह जान कहा जाता 
मेरा शहर मुझे प्यारा है
यह सबसे न्यारा है

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