परिवार तो परिवार होता है
अपने तो अपने होते हैं
नोक - झोंक , लडाई - झगड़ा
यह तो होता ही रहता है
इनके बिना तो जीने का मजा भी जाता रहता है
प्रेम और अपनापन भी होता है
संपूर्ण अधिकार होता है
जताना और बताना नहीं पडता
मन की डोर एक - दूसरे से बंधी रहती है
हर रिश्ते का एक नाम होता है
ननिहाल ,ददिहाल, मायका ,ससुराल
एक माता का और एक पिता का
दोनों के रिश्तों से बंधे सारे रिश्ते
चचेरा ,ममेरा ,फुफेरा
सब रक्त संबंधों में लिपटे
इनको अपने आप से लिपटाना
संबंधों की अहमियत समझना
इनको जीवित रखना
अगर वेंटिलेटर पर है
सांस है तब मरने नहीं देना है
अभी भी बचाया जा सकता है
कुछ भूले कुछ याद करें
खट्टी मीठी यादों में विचरण करें
कडवाहट को दूर करें
चार दिन की जिंदगी
इसके दायरे को असीमित करें
अपने ही परिवार नहीं औरों को भी साथ जोड़े
जोड़ने में जो मजा वह तोड़ने में कहाँ
मिलने में जो आनंद हैं वह बिछुड़ने में कहाँ
अपनाने में जो मजा है वह छोड़ने में कहाँ
सबको साथ लेकर चलने में जो मजा वह अकेले में कहाँ
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