Thursday, 23 June 2022

बदरा आए

उमड घुमड कर बदरा आए
कभी यहाँ तो कभी वहाँ 
कभी छाते तो कभी ओझल
ऑख मिचौली का खेल , खेल रहें 
कभी आशा जगाते कभी निराशा 
बरखा की आस दिलाते तो सब खुश
कुछ पल में छट जातें 
धूप - छाँव का खेल खेलते
सबका जिया मोहते 
सब टकटकी लगाएं देखते
अब बरसे अब बरसे
हर जीव की आस 
हर जीव की प्यास
हर्षाते - बल खाते , इठलाते 
बदरा आए 
सब हर्षाए। 

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