Saturday, 4 June 2022

प्रीति की रीति

प्रीत की रीति निराली 
है सबसे प्यारी
प्रीति करें जो वहीं प्रीति की रीति भी जाने
जीना - मरना प्रीति की खातिर 
प्रीति ही जीवन
प्रीति ही हर सांस 
बिना इसके जीवन में  भर जाती निराशा 
अगर प्रीति न होती 
तब ताजमहल न होता
हीर - रांझा और शीरीं- फरहाद  न होते
चट्टान काटकर रास्ता बनाने वाले मांझी न होते
प्रीति बिना तो जीवन बेरंग - बेरस  होता 
मोहब्बत की निशानिया न होती
लैला - मंजनू भी न होते

हर मन में प्रीति समाई
हर जगह राधा - कृष्ण 
प्रीति से ही तो दुनिया है
कहने को तो यह शब्द अधूरा
लेकिन इसके बिना न जीवन पूरा 

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