है सबसे प्यारी
प्रीति करें जो वहीं प्रीति की रीति भी जाने
जीना - मरना प्रीति की खातिर
प्रीति ही जीवन
प्रीति ही हर सांस
बिना इसके जीवन में भर जाती निराशा
अगर प्रीति न होती
तब ताजमहल न होता
हीर - रांझा और शीरीं- फरहाद न होते
चट्टान काटकर रास्ता बनाने वाले मांझी न होते
प्रीति बिना तो जीवन बेरंग - बेरस होता
मोहब्बत की निशानिया न होती
लैला - मंजनू भी न होते
हर मन में प्रीति समाई
हर जगह राधा - कृष्ण
प्रीति से ही तो दुनिया है
कहने को तो यह शब्द अधूरा
लेकिन इसके बिना न जीवन पूरा
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