Saturday, 4 June 2022

वह पाठशाला के स्मरणीय दिन

किसी छात्रा ने मुझसे पूछा
मिस क्या आप भी स्कूल में मस्ती करते थे
क्या आपको भी पनिशमेंट मिलता था
उसकी यह बात सुन चेहरे पर एक चमक छा गई
मन उस दौर में ले गया जब हम पाठशाला जाते थे
सोचा क्या बताऊँ बच्चे हम भी तो एक समय तुम्हारी ही उम्र के थे
वह बालपन था भोलाभाला  और बेपरवाह
नहीं पता था वह स्वर्णिम दिन फिर न लौटेगा 
बेस्ट की बसो पर चढने से लेकर वापस लौटने तक हम न जाने क्या - क्या करता थे
बिन कारण हंसना - खिलखिलाना 
च्यूगम चबाना
बेंच में बैठने के लिए लडना
खाना खाने एक साथ बैठना और दूसरे का भी चटखारे लेकर खाना
अपनी ही दोस्त की शिकायत करना 
कक्षा में कभी बेंच पर तो कभी बाहर खडे रहना
होमवर्क न होने पर जल्दी जल्दी दूसरों की काॅपी लेकर नकल करना
डायरी पर पैरेन्टस की बनावटी सिग्नेचर करना
झूठ बोलने और बहाना बनाने में तो माहिर
वाशरूम जाने का बहाना कर सारे स्कूल का चक्कर लगाना
गृहकार्य नहीं किया तो सर झुकाएं छुपकर बैठना
कभी मुर्गा बनना तो कभी हाथ पर डंडा खाना
परीक्षा में एक - दो रिक्त स्थान को पूछना
इशारे करना और उत्तर पूछना 
कभी-कभी नकल भी कर लेना
काॅपी में टीचर का कार्टून बनाना
अलग - अलग नाम का संबोधन
कभी-कभी अपनी गलती दूसरे पर डालना
बारिश में भीगना , कीचड़ में पत्थर फेकना
खेलने की धुन में  सब भूल जाना
स्कूल का टाइम याद न रहना न समय पर तैयार होना
सुबह उठने में परेशानी 
लेट होने पर बस न आने का बहाना
शाम स्कूल छूटने पर धक्मधुक्की 
बस में भी धमा-चौकड़ी 
कंडक्टर और ड्राइवर के साथ यात्री भी परेशान 
क्या यही टीचर ने सिखाया है की उलाहना
आइस्क्रीम  , कच्ची कैरी , बेर ,गोला सब ठेले वाले से ले चटखारे ले खाना
जूता साफ नहीं तो चाक से घीसना
होली आने के पहले ही स्याही से खेलना
ऐसे न जाने कितने 
अब तो हंसी भी आती है
मन बचपन में जब जाता है 
तब उससे जुड़े सब याद आ जाते हैं 
प्रधानाचार्य,  शिक्षक , चपरासी अंकल , कैंटीन के भेल वाले और बडा पाव वाले भैया , गेटकीपर , सब दोस्त , वह बस स्टाप,  स्कूल का मैदान 
सब अंकित है इस मन पर 
बस आज याद ताजा हो गई। 

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