कहते हैं
जमाना बदल गया
सुनते हैं
जमाना बदल गया
जमाना नहीं
इंसान बदल गया
हमारा जमीर बदल गया
इमान बदल गया
नैतिकता रही बची खुची
उसके भी पैमाने बदल गए
सत्य शाश्वत है
उसकी भी परिभाषा बदल गई
दोस्ती , प्रेम अब वैसे नहीं रहे
रिश्ते भी मतलबी हो गए
अब कोई यू ही बिना कारण मिलता नहीं
मिलने में भी नफा नुकसान देखा जाता है
अब त्योहार पहले जैसे नहीं रहे
दिखावट का आवरण ओढ रखा है
अब हर चीज दौलत से मापी जाती है
प्रतिष्ठा और शोहरत का बोलबाला है
अब वह प्यार नहीं
अब वह अपनापन नहीं
अब वह दया और करुणा नहीं
अब वह भी मशीन है
शरीर इंसान का
मन मशीन का
अब वह पहले जैसा धडकता नहीं है
बडे सोच समझ कर फैसला लेता है
हर चीज का हिसाब रखता है
बहुत बारीकी से गुणा भाग करता है
ध्यान से जोड़ता और घटाता है
कहाँ मुनाफा
कहाँ घाटा
इस चक्कर में अपनों को भूल जाता है
कहते हैं
जमाना बदल गया
जमाना नहीं जनाब
इंसान बदल गया है
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