Monday, 20 June 2022

राम के साथ सबको वनवास

चौदह वर्ष का वनवास राम को मिला था
पर केवल राम ही ने वनवास भोगा क्या??
उनके साथ जुडे हर किसी ने
सीता पत्नी थी चल पडी पति के साथ
लक्ष्मण चल पडे भाई का साथ निभाने
रह गए अयोध्या में परिवारजन

अयोध्या की जनता बिना राजा के रही
राम बिना महल ही नहीं अयोध्या सूनी रही
राजसिंहासन रिक्त रहा
एक राजा की मृत्यु और भावी राजा का वन गमन
यह जनता ने सहा था देखा था

अब बारी महल की
रानी कैकयी  को तो वनवास मिल ही गया था जब भरत ने उनका तिरस्कार किया
पति को खोया सो अलग 
कौशल्या और सुमित्रा दोनों को ही पतिवियोग और पुत्र वियोग मिल ही गया था
बेटा वन और माँ महल में 
यह सुख नहीं था वनवास से भी कठिन था
न राजमाता रही न महारानी 

अब बचे भरत और शत्रुघ्न 
भरत को तो माँ ने इस लायक ही नहीं छोड़ा 
अगर राज्य स्वीकारते तो आज वे सम्मान की दृष्टि से नहीं देखे जाते 
माँ के कर्मों का दंड उन्हें झेलना पडा
संन्यासी बन बाहर कुटिया बनाकर रहें 
शत्रुघ्न को तो सबको लेकर चलना था कैसे छोड़ देते
भाईयों की राह पर और कर्तव्य भी निभाना था
उर्मिला  को तो वियोग मिल ही गया था पति जो वनवासी था
बची 
 मांडवी और श्रुतिकृति
दोनों के पति अपना अपना फर्ज निभा रहे थे
भ्रातधर्म और राज धर्म 
सब वनवास काट रहे थे
कोई प्रकृति के बीच
कोई महलों के भीतर 

एक के लिए राज सुख की मांग 
सबका सुख छीन गया

 

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