यह तो देशप्रेम हैं
व्यापार नहीं
पैसों की लालसा से नहीं
देश सेवा का जज्बा
आज तो वास्तविकता कुछ और ही नजर आ रही हैं
सेना में भर्ती के नाम पर देश की संपत्ति को जलाया जा रहा है
तोड़ फोड़ किया जा रहा है
वह इसलिए कि नया कानून बना है
चार साल भर्ती का
हर्ज ही क्या है
चार साल देशसेवा करिए
अगर आप में काबिलियत है तो आपकी कदर होगी ही
दस प्रतिशत आरक्षण भी
अब क्या चाहिए
अगर आपमें देश के लिए कुछ कर गुजरने का जज्बा है
तो अपनी काबिलियत पर नौकरी हासिल करने का
बिजनेस करने का
रोजी रोटी चलाने का हुनर नहीं है क्या ??
सेना क्या दूध देने वाली गाय है
उसका उपयोग करो
नौकरी और एक अच्छी पेंशन
ताकि जिंदगी आराम से सेट हो जाएं
अब तो यहाँ तक कहा जा रहा है
कि सेना में भर्ती पैसों के लिए होती है
कुछ प्रांत जो ज्यादा से ज्यादा सेना में हैं
उनके ऊपर शक आ रहा है
देशभक्ति और देशप्रेम तो दूर दूर तक नजर नहीं आ रहा हैं
सरकार की मंशा को समझिए
उचित मांग करिए
प्रजातंत्र है
हाँ अपनी मांग मनवाने के लिए
राष्ट्रीय संपत्ति को हानि न पहुंचे
यह ख्याल रहें
हो सकता है
सरकार को फौज व्यवस्था में संशोधन करना जरूरी हो
समय की मांग हो
लीक पर ही चले
यह तो कोई बात नहीं
दुनिया को लोग देख ही रहे हैं
क्या क्या चल रहा है
हथियारों और अस्त्र- शस्त्र की प्रतिस्पर्धा लगी हुई है
वे लडाई में बमबारी से जल रहे हैं
हम आगजनी से देश को जला रहे हैं
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