यह करोना नहीं
कुदरत का ईशारा है
सावधान कर रही प्रकृति
अब भी समय शेष है
सुधर जाओ या
परिणाम भुगतने को तैयार रहो
बहुत कर ली मनमानी
अब तो अनुशासित हो जाओ
कब तक करते रहोगे
खिलवाड़
दूसरों के जीवन से
अपने जीवन से
जब जो मर्जी है वह करना है
ऐसा थोड़े न चलता है
इसको काटो
इसको मारों
इसको हटाओं
इसको खाओ
न दिन देखना
न रात
जो रास्ते में आए
सबको उडा दो
गारे और सींमेट से अपना आशियाना बनाओ
बस खुदगर्ज रहो
हमें किसी से क्या लेना देना
कुदरत खुदगर्ज नहीं
वह सजा देती ही है
वह भी ऐसी कि
सांस लेना भी भारी
रक्षण करती है
पर कब तक
यह तो सोचना इंसान को
यह करोना नहीं
कुदरत का ईशारा है
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