महाभारत का युद्ध समाप्त हो गया था
कृष्ण के वापस आने पर रुक्मिणी ने उनसे पूछा
सब पापियों का संहार किया
कर्ण ने कौन सा पाप किया था
वह तो महादानी था
दानशीलता का कोई मुकाबला नहीं
अपना जीवन भी
कवच और कुंडल तक
कृष्ण मुस्कराए
यह सही है कि उसने जीवन भर पुण्य किया
पर एक पाप भी हुआ था
जिसने उसके सारे पुण्यों पर पानी फेर दिया
जब अभिमन्यु अपनी अंतिम सांसे गिन रहा था
महान योद्धाओं से घिरा हुआ
वह जल की याचना कर रहा था
वही पास में एक छोटा सा गड्ढा था जिसमें साफ पानी भरा था
कर्ण वही खडे थे पर दुर्योधन की मित्रता में इस कदर डूबे थे कि एक मरते हुए शख्स को पानी नहीं पिलाया
यह पाप ऐसा था कि सारे पुण्य फीके पड गए
कर्ण की मृत्यु का कारण भी वही गड्ढा था
जगह वही थी और पहिया उसी के कीचड़ में धंसा था जहाँ से उसको निकालते समय अर्जुन ने बाण से उनके प्राण लिया
कर्म का फल तो मिलता ही है
तुम्हारे पुण्य उसको ढक नहीं सकते
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