Friday, 3 June 2022

चांद कितना दूर

चांद इतना दूर
फिर भी लगता पास है
वह अपना लगता है
लगता जैसे बतियाता है
अपनी शीतल चांदनी देता है
तारों के खेल दिखाता है
कहते हैं उसमें दाग है
वह तो हममें भी है
कोई भी तो पूर्ण नहीं
कमजोरियाँ और दोष सभी में
इसके साथ भी तो चांद को पूजा जाता है
उससे सुहागिने करवा चौथ के दिन दुआ मांगती है
बच्चों को उसमें मामा दिखाई देता है
अपना प्यारा चंदा मामा

सूरज तो बहुत पास है
फिर भी लगता दूर है
उसका इतना तेज कि
ऑखे भी उठाकर कुछ देर नहीं देख सकते 
पूर्ण प्रकाश से भरपूर
उर्जावान
कोई कमी नहीं
सबको प्रकाश के साथ जीवन भी देता
फिर भी वह करीबी नहीं लगता
मन में शीतलता नहीं आती
डर लगता है

यही बात तो रिश्तों में भी है
कुछ रिश्ते बहुत संपन्न 
बहुत बडे , बहुत नामचीन
बहुत इज्जतदार
पर उनका हमें क्या फायदा
वह कहने के लिए रिश्ते
उससे करीब महसूस किया जाता
कुछ अजनबियों से
कुछ बिना नाम वाले रिश्तों से
जहाँ विश्वास होता है
ये कुछ न कुछ हमारे लिए जरूर करेंगे
कुछ नहीं तो हमारे मन की बात सुनेंगे
हमें समझेंगे
अपनी हैसियत से हमारी तुलना नहीं करेंगे
वह सूर्य भले हो चमकता
पर हमारे किस काम का

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