यह नहीं मिला
वह नहीं मिला
मेरे साथ ऐसा हुआ
मेरे साथ वैसा हुआ
बहुत अन्याय हुआ
घर - बाहर कहीं भी न्याय न मिला
बार - बार मेरे स्वाभिमान को ठेस पहुंची
मुझे नीचा दिखाने का प्रयास किया गया
दस लोगों के बीच मुझे अपमानित किया गया
मुझे कोई तवज्जों नहीं दी गई
मेरे लिए किसी ने कुछ नहीं किया
किसी का प्रेम और अपनापन नहीं मिला
मेरी बात को सुना नहीं गया
मेरा तो भाग्य ही खराब है
मेरा कोई नहीं सुनता
बस मुझी पर दोषारोपण किया जाता है
कटघरे में खड़ा किया जाता है
अपनी गलती छुपाने के लिए मेरे कंधे पर रखकर बंदूक चलाई जाती है
ऐसा अमूमन किसी न किसी शख्स से सुनने को मिलता है
हमारे मन में भी यह सब चलता रहता है
अरे जनाब / मैडम
छोड़िए इन बातों को
अपने को इतना नीचे मत गिराओ
आप भिखारी नहीं है
जो आपको प्रेम और सम्मान भीख में मिले
भाग्य को दोष मत दो
अपना भाग्य खुद बनाओ
किसी के बनाने और बिगाड़ने से आपका कुछ नहीं होगा
न किसी के दोषारोपण करने से
यह तो लोग है कहेंगे ही
मुंह देखी बात करने की आदत होती है
पर सत्य तो सत्य ही होता है
कब तक छुपेगा
उजागर होना ही है
सब छोड़कर अपना कर्म करें
भीख में मांगी वस्तु नहीं टिकती है
लोगों को एहसास कराए
अपना महत्व बताएं
खुदी को कर बुलंद इतना कि खुदा बंदे को बनाने से पहले खुद पूछें
बता तेरी रजा क्या है ।
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