हर घर की शोभा है
हर द्वार की शान है
छोटी सी है महिमा इसकी अपरंपार
जिस आंगन में यह खिले
वह आँगन गुलजार
ईश्वर की है प्यारी
चरणामृत और प्रसाद भी इसके बिना अधूरा
किसी डाँक्टर से कम नहीं
सर्दी , कफ की है रामबाण औषधि
नहीं चाहिए बडी जगह
एक छोटे से गमले में भी जगह दे दो
प्रसन्न हो जाए माता
सुबह - शाम दिए लगाने से मिलती है दुआ
घर हो जाता है सकरात्मक उर्जा से सराबोर
वातावरण साफ और स्वच्छ
दूषित हवा भागती दुम दबाकर
तब कोई कैसे रह सकता है तुमसे दूर
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