नहीं किसी से हारी है
सब पर भारी है
सब्जी काटने के चाकू से लेकर तलवार
चलाना आता है
हम ही सीता हम ही लक्ष्मी बाई
पति संग सब छोड़ चली वन को
पति विरासत की रक्षा करने बांध लिया पीठ पर पुत्र
तलवार चला बनी मर्दानी
अंग्रेजों ने भी जिसके आगे भरा पानी
जग जननी है
जग माता है
गृहिणी है ऐसा नहीं
हम तो इंदिरा भी है
द्रौपदी मुर्मू भी हमी है
हम में तो महान प्रतिभा छिपी है
मौका तो दे कोई
तब वह कर दिखाए
असंभव को भी संभव बना दे
न मिले तो
अब अपना हक लेना हम जानती है
सहना ही नहीं छिनना भी हमें आता है
हम ममता की मूरत है
पत्थर की नहीं
हमें देवी मत बनाओ
हमारी क्षमता को मत दबाओ
हम तो कदम से कदम मिलाकर चलने वाली है
क्या घर क्या बाहर
अपना परचम फहराने वाली है
हम भारत की नारी है
नहीं किसी से हारी है
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