फिर वह पहले जैसे हो जाएं
हटा दो मन पर जमी काई
ताकि फिर साफ सुथरा अक्स देख सको
जला दो सब कड़वाहट को
ताकि ज्वाला में सब भस्म हो जाएं
होली - दीपावली का इंतजार क्यों
हर दिन बुराई की होलिका जला दे
हर दिन प्रेम का दीपक जलाएं
त्यौहार में ही मिठास क्यों
हर दिन संबंधों की मिठास को महसूस करें
ज्यादा दिन हो जाए
तो मकडी भी जाला बना लेती है
हर दिन उस जाले को हटाए
संबंधों पर उसे न फैलने दे
संबंधों पर नींबू नहीं
शहद का छिड़काव करें
मधुरता औ मिठास से सराबोर करें
कुछ अपनी कहें कुछ उनकी सुने
कुछ नजरअंदाज करें
अपना नजरिया बदले
खट्टी मीठी तकरार, बरकरार रखें
जहाँ प्यार वहाँ तकरार
मौन तो सब मौन कर देगा
संवाद होता रहें
तभी संबंध भी कायम
नहीं तो तुम कौन हम कौन
औपचारिकता नहीं दिखावा नहीं
मन से अनौपचारिक रहें
तभी तो संबंधों की गरिमा भी ।
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