Wednesday, 27 July 2022

चक्रव्यूह

हर किसी को अपनी लडाई लडनी पडती है 
हाँ उसका स्वरूप अलग हो सकता है
कभी-कभी हमें ऐसा लगता है
हमें ही इतनी बाधाएं आई
जीवन में समस्याएं आई
न जाने क्या-क्या देखना पडा
पिछली जर्नी  को देखें 
तब ऐसा लगता है 
क्या वास्तव में यह सब हमने ही किया है
याद कुछ रहता है कुछ भूल जाता है
यह शक्ति कहाँ से आई
हम तो ऐसे नहीं कर सकते थे
हमने किया 
यह हमारी उपलब्धि है 
देखा जाएं तो
सीधे - सरल राह पर चलना उतना कठिन नहीं 
जितना टेढे मेढे और उबड खाबड़ राह पर चलना
सरल राह भी तो कंकरीली- पथरीली हो सकती है
तब यह कहना कि
हमारे जैसी जिंदगी मिलती तब पता चलता
तुम्हें क्या पता
यह तो माया है
किसी को कुछ मिला
किसी को कुछ 
संपूर्णता तो किसी को नहीं 
तब यह देखना है
तुम उसे कैसे लेते हो
कोसते हुए ईश्वर को
रोते हुए 
उदासी ओढे हुए 
दूसरों को दोष देते हुए 
अपनी जिंदगी के हर पल के भागीदार आप स्वयं हो
आपका अपना कर्म
आपका अपना भाग्य 
इस पर किसी को हस्तक्षेप का अधिकार नहीं 
न कोई भाग्य विधाता है
न जीवनदाता 
यह सब तो चक्रव्यूह है
जिसमें फंसा हर व्यक्ति है ।

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