जब चारों ओर पानी ही पानी
पूरा शहर पानी में तैर रहा था
हम भी फंस गए थे
सडक तो गायब ही लगती थी
लगता था
अब वापस घर नहीं पहुंच पाएंगे
चमत्कार करने वाला तो ऊपर वाला
पानी का सैलाब हो या ज्वाला का तांडव
निकाल तो वही सकता है
तभी तो एक कंकड़ लगने पर भी खत्म
खाई में गिरने पर भी जीवित
जब तक वहां से बुलावा नहीं
तब तक कोई बाल बाँका नहीं कर सकता
मृत्यु से क्या डरना
कितना भी जतन किया
तब भी जब उसे आना था
वह आई
बडे बडे डाँक्टर
बडी बडी बादशाहत
उसे कोई डिगा न पाया
यह तो साये की तरह साथ चलती है
जिंदगी के साथ चलती है
जब यह साथ छोड़ देती है
तब यह जहां भी छूट जाता है
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