Friday, 29 July 2022

तमाशबीन

सांसद मुद्दों पर भटके
ईगो में अटके 
हाथ जोड़ने वाले अब हाथापाई पर
मीठी जबान का तो दर्शन नहीं 
कडवी इतनी कि नीम भी फेल 
फूल नहीं अंगारे बरस रहें 
मन में द्वेष की ज्वाला 
तब कैसे हो पब्लिक का भला
हम- तुम का चक्कर चल रहा
जनता खडी देख रही 
हर तमाशा 
वह बनी है तमाशबीन

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