Wednesday, 3 August 2022

खाना

भूखे भजन न होय गोपाला
भूखा होता है 
तब सूखी रोटी भी अच्छी लगती है
पूरी दुनिया पेट के इर्द-गिर्द ही घूमती है
हाँ सबकी खुराक अलग-अलग 
कोई कम कोई ज्यादा 
यह खिलाने वाले पर भी निर्भर 

अगर माँ खाना खिलाती है
तब वह चाहती है
उसकी संतान जितना खाए उतना कम
वह ठूस ठूस कर खिलाती  है

पत्नी का भी वही 
वह पति के खाने का ध्यान तो रखती है
लेकिन माँ के रूप में 
अपने बच्चों को ज्यादा तवज्जों देती है
उनके लिए वह हमेशा हाजिर

दोस्तों के साथ 
तब ठूंस ठूंस कर
सारी औपचारिकता को छोड़ 
मेजबान के यहाँ 
तब संभल कर 

कहते हैं 
खाने का क्या है
ऐसा नहीं है
खाने के साथ ही भावना , शरीर , स्वास्थ्य  ,मन
सब जुड़े होते हैं 
खाना खाने में 
खाना खिलाने में 
खाना परोसने में 
खाने वाली जगह में 
जो बात घर में 
जो बात अपनों में 
वह न होटल में 
न अतिथि रूप में 

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