Thursday, 1 September 2022

स्वयं को तराशे

नारियल चढा पेड पर 
सबसे ऊंची चोटी पर
जहाँ चढा वह गर्व से सबको निहारता 
सबको तुच्छ समझता
मैं इतनी ऊंचाई पर
अचानक हवा का झोंका आया
आ गिरा जमीन पर धडाम से
एक शख्स को मिला 
वह ले गया अपने घर 
उसको छिला
फिर भगवान के चरणों में  रखा 
उसी पत्थर की मूर्ति पर
जिसे देख वह इतराता था
गुमान करता था
वह तराशी गयी 
ईश्वर का प्रतीक बनी
अभी इनकी जीवनयात्रा समाप्त नहीं हुई 
फोडा गया
छोटे छोटे टुकड़े हुए
प्रसाद बना कर बांटा गया
नारियल का नामो-निशान खत्म 
पत्थर की मूर्ति सालोसाल से वहीं विराजमान 
सार यह
कुछ समय के लिए नहीं 
हमेशा के लिए जाने जाएं 
ऐसा काम करिए 
अपने को तराशे 
कुछ ऐसा कर जाएं 
याद रखे लोग सालोसाल 

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