Thursday, 1 September 2022

होता है फर्क

होता है फर्क 
सुख और दुख में 
होता है फर्क 
भाग्य और कर्म में 
होता है फर्क 
अपनों और परायों में 
होता है फर्क 
विश्वास और अविश्वास में 
होता है फर्क 
प्रेम और घृणा में 
होता है फर्क 
रक्त और पानी में 
होता है फर्क 
अमृत और विष में 
होता है फर्क 
आशा और निराशा में 
होता है फर्क 
झूठ और सच में 
होता है फर्क 
धूप और छांव में 
होता है फर्क 
ईमानदारी और बेईमानी में 
होता है फर्क 
अमीरी और गरीबी में 
होता है फर्क 
गर्मी और बारिश में 
होता है फर्क 
घर और बेघर में 
होता है फर्क 
समृद्धि और कंगाली में 
होता है फर्क 
संतोष और असंतोष में 
तब कहा जाएं 
हर परिस्थिति में तटस्थ रहो
यह तो संभव ही नहीं 
कम से कम साधारण इंसान के लिए तो नहीं 
साधु और महात्मा के लिए होता होगा
एक गृहस्थ के लिए तो बिलकुल नहीं 

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