Thursday, 15 September 2022

बरसात में मन की इच्छा

जब हो झमा झम बरसात
तब क्यों न हो जाएं मौसम खुशगवार 
घर में बैठ कर मनभावन गाने लगाकर
सोफे पर आराम से पसर कर
पत्नी को आर्डर देकर
गरमा गरम चाय 
आलू - गोभी के बेसन में लपेटकर 
जब पकौडा हो जाएं तैयार
चाय की चुस्कियां लेते लेते 
पकौडे का आस्वाद लेते 
बीबी से प्यार भरी बात कर
जो सुकून मिलता है
उसका है न जाने कब से इंतजार 

यहाँ का हालात तो कुछ अलग बयां करता 
ट्रेन की भीड़ 
ट्रैफिक की जाम
बस और टैक्सी का मिलना हो जाता दुश्वार 
किसी तरह गीले - गीले पहुँच दफ्तर 
बाॅस से ऑख बचाते
अपनी कुर्सी पर बैठकर फाइलों को सहेजते 
चपरासी को चाय लाने का आर्डर देकर 
सर झुका कर गुम हो गए काम में 
सब अरमान मन ही मन धरे रह गए। 

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