हिंदी का दिन
आज ही क्यों
हर वक्त ही
हिंदी तो हमारी रग रग में बसी
उसके बिना तो हमारा अस्तित्व नहीं
कितनी भी अंग्रेजी बोल ले
कितने भी बडे हो न जाएं
कितना भी दबा ले
तब भी आते आते जुबां पर आ ही जाती है
भाषा जितनी इस्तेमाल होती है
उतनी ही निखरती है
भले तोड़ मरोड़ कर
अंग्रेजी मिश्रित
दूसरी भाषाओं का प्रभाव
फिर भी केन्द्र में हिंदी ही है
जो सबको समझ आ जाती है
किसी भी तरह बोले
कैसे भी बोले
सब स्वीकार
आखिर माँ तो माँ ही होती है
हर रूप में बच्चों को स्वीकार
तब आइए
हिंदी बोलने में शर्म न करें
जिस तरह बोले
बोलिए
मत झिझकिए ।
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