एक अपना भी प्यारा आशियाना हो
यह इच्छा मन में हमेशा रही
ऐसा नहीं कि किसी बात की तकलीफ हुई हो
पर अपना घर तो अपना ही होता है
उसमें रहने का सुख अलग ही होता है
वह समय भी आया
जब अपना घर भी हुआ
इस जोड़ने - घटाने के चक्कर में न जाने पीछे क्या कुछ छूट गया
जिनके साथ रहना था उनका अब अपना आशियाना हो गया
उनकी अपनी जिंदगी अपनी राहें
अब तो वह भी कहते हैं
क्या जरूरत थी यह सब करने की
उनको शायद एहसास नहीं
कितना चुभता है
जब कोई पूछता है
आपका अपना घर नहीं
इस पीड़ा को वो ही अनुभव कर सकते हैं
जिनके सर पर छत न हो
अपने से तो अपनापन होता है
घर से भी अपनापा होता है
तभी तो हर किसी का सपना
एक प्यारा सा घर हो अपना
वह छोटा ही सही
वह कोठी न सही झोपड़ी ही सही
अपना तो है
जिसमें किसी की दखलंदाजी नहीं
अपना पूर्ण स्वामित्व
अपनी मर्जी के मालिक
घर केवल घर नहीं अपना अरमान होता है
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