Tuesday, 20 September 2022

मुक्ति कब ???

तुम तो चले गए 
जाते जाते बहुत कुछ छोड़ गए 
एक ऐसा घाव जो भर ही नहीं सकता 
तुम तो मुक्त हो गए
हमें जिंदगी भर का नासूर दे गए
एक ऐसा घाव 
जो भरता ही नहीं 
समय-समय पर हरा होता रहता है
कुछ बातें कुछ यादें 
जो तुमसे जुड़े हैं 
वे कैसे भूल जाएं 
समय गुजर चुका है
समय के साथ सब भूला दिया जाता है
परिस्थितियां बदली है
अब वह पहले जैसी नहीं रहीं 
तुम्हारी कमी वह जो पहले थी 
अब भी वैसी ही है
मुक्ति तुमको मिली है हमें नहीं  ।

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