Friday, 16 September 2022

नेकी कर

लहरें आती है लहरे जाती हैं 
आती - जाती बहुत कुछ छोड़ जाती है
हमारे कदमों के निशान भी मिटा जाती हैं 
भयंकर बाढ आती है
सब कुछ बहा ले जाती है
कुछ नहीं छोड़ती
जिंदगी फिर नए सिरे से शुरू करनी पडती है

तुमने जीवन में क्या किया
क्या नहीं किया
यह कौन याद रखता है
एक अनचाही लहर जब आती है
तब सब पर पानी फेर जाती है
लेकिन यही जिंदगी खत्म तो नहीं हो जाती
फिर से नया कुछ करना पडता है

दस साल के बाद तो दशा बदल जाती है
तब लोग क्यों नहीं बदल जाएं 
जो परिस्थितियां उस समय थी
वह अब नहीं है
तो अब के लोगों को क्यों वह बात समझ आएंगी 
आप यह सोचिए 
आपने कुछ किया है तो उन्होंने भी किया होगा
वह जिस समय आपके साथ खडे रहे , उस समय को याद करें 

समय बदलता है
नजरिया और सोच भी बदलती है 
इसलिए ज्यादा सोचे नहीं 
जो हुआ वह अच्छा हुआ
जो हो रहा है वह अच्छा हो रहा है
जो होगा वह भी अच्छा होगा

अंत में 
नेकी कर और दरिया में डाल 

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