परिवर्तन प्रकृति का नियम
बदलाव तो होता है
लोग भी बदलते हैं
धारणा भी बदलती है
जो पहले वह आज नहीं
जो आज है वह कल नहीं
न प्रकृति पर भरोसा
न किसी व्यक्ति पर भरोसा
पशु भी इसका अपवाद नहीं
वह भी धोखा देते हैं
पालने वाले की ही जान के दुश्मन बन जाते हैं
तब दोष किस को दे
किसी को नहीं
जब साँसों का भरोसा नहीं
तब और किसी पर भरोसा कैसे ??
बस ईश्वर के अलावा किसी पर नहीं।
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