सबको धोता
कपडा हो या बर्तन
पेट हो या चेहरा
सबको करता साफ
मैल निकालता और चमकाता
है तेरे गुण बडे बडे
सलाद हो या दाल
नहीं किसी को तुझसे परहेज
दूध से पनीर बनाने में तू ही
जिसमें तू मिल जाएं
उसका स्वाद दस गुना बढ जाएं
गर्मी में ठंडा करता
मुसाफिरों का मनपसंद
स्वस्त और मस्त
नहीं किसी की जेब पर भारी
सर्दी में भी शिकंजी बन कफ दूर करता
पोहे, उपमा या फिर ढोकला
परांठा हो या पेटिस
पुलाव हो या बिरियानी
शाकाहार हो या मांसाहार
हरा - हरा , पीला - पीला
गोल - गोल , छोटा - छोटा
नमक के साथ धूप में तप कर
बन जाता अचार
छिलके में भी न जाने कितने गुण
कभी नमकीन तो कभी मीठा
बिना तेल - मसाले के भी बन जाता
गरीब हो या अमीर
सबके रसोई घर की शान बढाता
कह सकते है
मूर्ति छोटी कीर्ति बडी
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