Wednesday, 7 September 2022

कुछ अनकही

मेरे शब्दों में धार है
वह कविता तक ही सीमित है
कभी-कभार वाणी में भी वह दिख जाता है
तब लोगों को वह नागवार गुजरता है
सरल ही सुनने के सब आदी 
उनकी सुन लो
अपनी न कहो
जिस दिन तुमने उनका उत्तर भी दे दिया
वह खटकने लग गया
संबंधों में  दरार पड गई
एकतरफा तो संबंध निभाया नहीं जाता
विचारों का आदान-प्रदान हो
दूसरे को भी स्थान दो
केवल अपनी ही मत चलाओ
हावी होने की कोशिश नहीं 
पास आने की और साथ होने की कोशिश हो ।

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