वह तो आती रहती है
असमय बिना बताएं
हमारे सारे किए - कराए पर पानी फेरने
सारी योजनाएं धरी कि धरी
तब भी शायद उसको झेलने की शक्ति हममें होती है
परेशानी उतना परेशान नहीं करती
जितना लोग करते हैं
पूछ - पूछ कर
रस ले लेकर
दूसरों की जिंदगी में ताक - झांक कर
यह हमारे आसपास वाले ही
हमारे सुख - दुख के भागीदार कहे जाने वाले
अब और किसी काम आए या न आए
परेशान करने जरूर
तब परेशानी से डर नहीं लोगों से डर
यह बहुत खतरनाक होता है
न चैन से जीने देता है
हम छुपाते रहते हैं
रफू करने की कोशिश करते रहते हैं
बे बखिया उधेड़ने में लगे रहते हैं
हाल , बेहाल तब सहानूभूति का मरहम
वाह रे जमाना और जमाने के लोग
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