Thursday, 15 September 2022

एक घर ऐसा भी

एक ही घर ऐसा होता है जहाँ आप बिना बुलाए मन चाही बार जा सकते हैं 
समय का सोचना नहीं पडता
जब जी चाहे तब
वहाँ ऑखें आपका इंतजार करती है और आपको देखते ही उनमें चमक आ जाती है
उनके चेहरे पर बनावटी हंसी नहीं दिल से निकली मुस्कान होती है
उस घर में आप जहाँ चाहे विचरण करें कोई रूकावट नहीं 
वहाँ पेट भी भरा हो तब भी जबरन खाने का आग्रह 
औपचारिकता नहीं निभाई जाती
न भारी लगता है 
आप अपना गुस्सा निकाल सकते हैं 
आपकी झुंझलाहट व्यक्त कर सकते हैं 
यह जगह अंजान नहीं आपके रग रग में बसी होती है
इसकी गली आने पर भी वह आपको अपनी लगती है
आपका इससे बहुत घनिष्ठ संबंध है
यहाँ पर आपका बेसब्री से इंतजार 
जाने पर उनकी ऑखें भर आती है
रात - दिन आपके ही ख्यालों में रहते हैं 
ईश्वर के आगे भी आपकी सलामती और उन्नति की प्रार्थना करते हैं 
आपका उन पर पूर्ण अधिकार 
आपकी हर सही गलत बात का जहाँ समर्थन 
आपसे ज्यादा बहुमूल्य उनके लिए कोई नहीं 
वह होता है
आपके माता - पिता का घर
उन दो बुझती हुई ऑखों को मत बूझने दे
उनकी आशा कायम रखें 
आपका साथ ही उनके लिए जीवन संजीवनी 
उसे समय-समय पर देकर जिंदा रखें 
क्योंकि यह हमेशा नहीं रहेगा ।

No comments:

Post a Comment