जान के टुकड़ों
तुम अब तक यह समझ न पाएं
तुम कितने अनमोल हो
यह जान न पाएं
मेरी ऑखों से देखों
तब हर जगह तुम्हीं
मेरे दिल में झांक कर देखों
तब तुम्हारे सिवा कोई नहीं
रूठ जाओ
लड - झगड़ लो
पर संबंध मत तोड़ो
बातचीत मत बंद करों
यही तो एक माध्यम है
संपर्क रखने का
कहीं तुम झुक जाओ
कहीं हम झुक जाएं
एक - दूसरे को समझ ले
कभी कोई मजबूरी
कभी कोई प्रॉब्लम
हल तो सबका है
जरूरत मिल कर बैठना है
उलझे हुए धागों को सुलझाना है
वह अपने आप नहीं होगा
कुछ तुम आगे बढो
कुछ हम आगे बढे
पहले तुम पहले तुम के चक्कर में
यह समय बीत न जाएं
बाद में अफसोस में यह कहना पडे
काश यह पहले होता तो
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