Thursday, 22 September 2022

ऐसा क्यों हुआ

मैंने हर मुश्किल घडी में साथ निभाया 
हर वक्त खडा रहा
गाहे - बगाहे जब भी जरूरत आन पडी
दिलोजान से साथ निभाया 
दोस्ती का हर फर्ज अदा किया
उसका क्या सिला मिला
उसने मुझ पर ही वार किया
छुप कर पीठ पीछे खंजर घोंपा 
मैं ठगा सा रह गया 
यह सोचता रहा
आखिर ऐसा क्यों हुआ 
सबसे विश्वास उठ गया
किसी एक के कारण सबको दोषी मान लिया
सारी दुनिया ही ऐसी है
अच्छाई के बदले बुराई मिलती है
यह कह कर मन को समझा लिया
यही तो मैं गलत हो गया
एक ही तराजू के पलडे में रख सबको तौलना
यह ठीक नहीं 
दुनिया में सब तरह के लोग
अच्छे और बुरे दोनों 
जिस दिन अच्छाई खत्म हो जाएंगी 
दुनिया स्वयं धरातल में चली जाएंगी 

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