हर कोई चाहता है
खुशी के कारण अलग-अलग हो सकते हैं
किसी की खुशी
भर पेट भोजन तो किसी की नींद में
किसी की मकान में तो किसी की व्यापार में
किसी की पैरेन्टस में तो किसी की बच्चों में
किसी की शिक्षा में तो किसी की सेवा में
किसी की समाज में तो किसी की राजनीति में
किसी की आराम में तो किसी की काम में
किसी की संपत्ति में तो किसी की संन्यास में
किसी की अकेले में तो किसी की परिवार में
कोई गृहस्थ बनकर तो कोई संन्यासी बन
खुशी तो खुशी है भाई
इसे पाने के लिए हर संभव प्रयास
और क्यों न हो
एक ही जीवन है
तब उसी से जो हासिल कर ले
वह कर ले
हाँ खुश रहना जरूरी है
चाहे वह
अमीरी में हो या कंगाली में
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