जर्जर ईमारत जब गिरती है तब वहाँ नई ईमारत तैयार होती है
प्रलय के बाद फिर नई सृष्टि की रचना
प्रकृति का यह नियम है
सृजन बिना कारण नहीं होता
चल रहा है तब तक चलने दो
यह सामान्य आदमी की फितरत है
जब अति होती है तब क्रांति होती है
पाप जब बढता है
धर्म की हानि होती है तभी ईश्वर का अवतरण होता है
यह बात सब पर लागू
सरकारें भी इसका प्रमाण है
सत्ता का उलट - पलट तभी होता है जब सरकार निरंकुश हो जाती है
जहाँ दमन की अधिकता युद्ध वही से शुरू होता है
परिवर्तन की चाहत होती है
स्वतंत्रता की चाहत होती है
कुछ न कुछ नया करना
वह तभी संभव जब पुराने को छोड़ना
कपडे हो मकान हो या और कुछ।
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