रक्षक ही जब भक्षक बन जाए
तब क्या करे आम इंसान
जोड जोड कर पाई पाई
बैंक में जमा किया अपनी जीवन भर की पूँजी
जहाँ पैसा सुरक्षित रहेगा
समय पर मिल जाएगा
घर में रख नहीं सकते
चोरी चकारी का डर
नोटबंदी के फरमान का भय
तब निवेश किया
भरोसेमंद बैंक में
क्या पता था
यहाँ डाका पड जाएंगा
पैसे डकार लिए जाएगे
यह बडे बडे लोग
आम आदमी की गाढी कमाई हडप जाएंगी
सरकार भी पल्ला झाड़ लेगी
तब तो हार्ट अटेक आना ही था
पहले नौकरी गई
उसके बाद जमा पूंजी गई
तब क्या होगा
परिवार का
बच्चों का
स्वयं का
यह सोच और चिंता स्वाभाविक है
एक के बाद दूसरी मौत
आगे कौन जाने
लोग रो रहे हैं
बिलख रहे हैं
किसी का बच्चा बीमार
किसी की बेटी की शादी
किसी की दैनदिन खर्चा
अपनी पेंशन ,प्रोविडेंड फंड
वृद्धावस्था का सहारा
यह आजाद भारत के लाचार जनमानस है
जो भ्रष्टाचार की बलि चढ रहा है
इतना मायूस
यह एक संजय गुलाटी नहीं
हजारों की व्यथा है
कौन सुध लेगा
सडक पर पीडित गुहार लगा रहे हैं
उनकी आवाज सुनने वाला कौन ??
No comments:
Post a Comment