औकात है कौडी की
लगेगा साहबजादे हैं कहीं के
नवाब हैं कहीं के
इतनी नफासत और दिखावा
वह भी दूसरों के यहाँ
अपने यहाँ तो ठन ठन गोपाला
तब बस बात ही रहेंगी नवाबजादों की
दूसरे के यहाँ तो अधिकार से
हर मांग रखेंगे
अपने यहाँ तो सिकुड़ जाएंगे
जैसे कुछ जानते ही नहीं
भोले हैं इतने
ऐसे लोगों को जब परख लो
तब उनसे दूरी बना लो
यह तो बस अपना काम निकलवाना जानते हैं
दूसरों के समय इनकी बोली बंद हो जाती है
संपत्ति और पैसे से यह भले हो
दिल से तो क्षुद्र ही रहते हैं ।
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