यह सबको नहीं देना चाहिए
आदर का अधिकार उसी का
जो स्वयं भी आदर करना जाने
चादर भी उसी को
जो उसकी कदर करें
यह नहीं कि तुम्हारी ही चादर में छेद कर दे
ऐसे बहुरूपिये बैठे हैं
जो दिखते तो कुछ
होते कुछ हैं
मुखौटा ओढे रहते हैं दिखावे का
अंदर से बिल्कुल खोखले
सोच समझ कर
आदर भी दे
चादर भी दे
नहीं तो पछतावा होगा ।
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