Thursday, 6 October 2022

बलात्कार पीडिता का दर्द

बलात्कार पीडिता की आत्महत्या 
आए दिन गैंगरेप की खबरें 
या तो वे ही मार डालते हैं 
या फिर आत्महत्या 
क्या करें पीडिता 
वह तो जीते जी मार डाली जाती है
समाज की नजरों में वह कहीं की नहीं रहती
यद्यपि उसका दोष नहीं 
पर हमारे समाज की सोच ही ऐसी है
वह तो उसका घर से बाहर निकलना दूभर कर देंगे 
जिसको न भी बोलना हो
जो उसके बारे में न जानता हो
ऐसे चटखारे लेकर बताएँगे 
सहानुभूति के नाम पर कि पूछो मत
कहाँ भाग कर जाएं 
वैसे नाम उजागर नहीं करना है
तब भी यह बात कहाँ छुपी रहती है
बलात्कारी  आराम से रहते हैं 
कभी-कभी यह राजनीतिक रूप भी धर लेता है
किसी नेता को इन पर दया आ जाती है
उनकी नजर में वे बच्चे हैं जिनसे गलतियाँ हो जाती है
यह कैसी गलती 
जिससे किसी का पूरा जीवन तबाह
उसका परिवार दागदार 
एक - दो पीढी तक यह कथा चलेगी 
इनके यहाँ ऐसा हुआ था
तभी तो डर के मारे चुप रह जाती है लडकियाॅ 
उसके बेबस घर वाले 
प्रार्थना करनी पडती है
इस मुद्दे को ज्यादा न घसीटो 
पत्रकारों का जमावड़ा 
न जाने कैसे कैसे सवाल 
एक तो यह दर्द और पीड़ा 
उस पर ऐसा माहौल 
मरे न तो करें क्या 

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