Friday, 7 October 2022

वह घरनी है

जब उसके हाथ में झाडू रहता है
तब नहीं जाती किसी की दृष्टि

जब उसके हाथ आटे से सने होते हैं
जब आटा गूंथ रही होतीहै
तब नहीं जाती किसी की दृष्टि

जब दहकती गर्मी में रसोईघर में
पसीने में लथपथ खाना बना रही होती 
हाथ में चिमटा और कलछी 
तब नहीं जाती किसी की दृष्टि

जब कडकती ठंडी में 
जूठे बर्तन और ओटला साफ करती
तब नहीं जाती किसी की दृष्टि

जब बच्चों के पीछे रात रात भर जागती
उनके सर पर पानी की पट्टी रखती
तब किसी को उसकी नींद की फिक्र नहीं होती

सुबह सुबह सबके नाश्ते की तैयारी
स्कूल छोड़ना 
कभी-कभी होमवर्क भी करवाना
तब नहीं जाती किसी की दृष्टि

दोनों हाथों में सामान की थैली
ढोते हुए जब आती है
तब नहीं जाती किसी की दृष्टि

यह सब वह करें तब तो ठीक
लेकिन इन्हीं हाथों में जब पकड़ती है मोबाइल 
तब सबकी दृष्टि बदल जाती है
जैसे कोई अपराध कर रही हो

हमेशा हाथ में मोबाइल
नहीं कोई परवाह
जब देखो उस पर लगी रहती हो
यह सुनना हर औरत की नियति

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