सबसे ज्यादा लंबी उम्र वाला
सत्तर वर्ष इनकी आयु
बचपन से ही संघर्ष
जब बच्चा होता है
तब उसको कुछ समय के बाद ऊपर ले जाता है
और वही से छोड़ देता है
यह उसका उडना सिखाना है
नीचे आते आते वह बच्चा अपना पंख खोल उडान भरने लगता है
आसमान की ऊंचाई मापता है
वही जब चालीस की उम्र तक पहुंचता है
तब अपने पंखों के बोझ से दब लगता है
उसके चोंच नुकीले और बढ जाते हैं
पैरों के नख भी जो उसी को तकलीफ देते हैं
अब उसके सामने दो ही विकल्प
एक आत्महत्या या फिर नये सिरे से शुरूवात
वह सबसे ऊपर पहाड़ पर जाता है
अपने नखो को चट्टान पर मार मारकर तोड़ डालता है
अपने एक - एक पंखों को नोच डालता है
चोंच को रगड डालता है
इसमें उसे तकलीफ तो होती है
लेकिन फिर सब कुछ नया मिल जाता है
इनके साथ ही आगे के तीस साल वह अच्छी तरह से जी लेता है
बचपन से वृद्ध होने तक
वह कभी हार नहीं मानता
तब उम्र बढने से सब कुछ खत्म हो जाता है ऐसा नहीं है
मन में जीने की ललक और उत्साह हो
तब बहुत कुछ आसान
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