कर्म तो सबको करना ही है
तुम लडने के लिए शस्त्र उठाओगे तब भी
न उठाओगे तब भी
दोनों ही कर्म है
जो इस संसार में आया है उसको तो कर्म करना ही है
आग लगी है
तुम चुपचाप देख रहे हो
उसे बुझाने का प्रयास न करना यह भी कर्म
तब क्यों न आग को बुझाने का प्रयास
हमारे भाग्य में शिक्षा लिखी है पर वह अपने आप तो नहीं मिल जाएंगी
उस भाग्य को सार्थक करने के लिए कर्म करना ही है
कर्म का फल ऊपर वाला देगा
वह भी सोचने को बाध्य होगा
तुमने कुछ किया ही नहीं
हाथ पर हाथ धरे बैठे रहे साल भर
उठ कर परीक्षा हाॅल में चल दिए तब चमत्कार तो होगा ही नहीं
तब निष्काम कर्म कर जीवन सार्थक करें।
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