सुहागिनों का दिन है
आज सोलह श्रृंगार करेंगी
अपने पति के लिए निर्जला व्रत रखेगी
आज तो हर कोई अपने रूप पर इतराएगा
ऐसा मौका तो साल भर में एक बार
इसी बहाने सजने संवरने का मौका
पति के हाथ से जल ग्रहण करना
उससे आशीर्वाद लेना
छलनी में से चांद के साथ-साथ अपने चांद को भी देखना
चांद की प्रतीक्षा
तब चाँद भला क्यों न इतराए
वह भी देरी करेगा
रूक रूक कर
धीरे धीरे निकलेगा
रोज तो सूरज के उगने की प्रतीक्षा
आज उसका भी इंतजार
छत पर खडी
न जाने कितनी ऑखें प्रतीक्षा रत
वह भी सोलह कलाओं वाला
सुहागिने भी सोलह श्रृंगार किए हुए
यह दृश्य भी तो सुहावना और मनभावन
कोई धरती पर कोई आकाश पर
एक - दूसरे को निहारते
तब ऐसी शमा जो सबको बांध ले
हर कोई अपने अपने चांद का दीदार करें
और खुशी खुशी करवा चौथ मनाए ।
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