Monday, 10 October 2022

Forget it

कब तक लोगों की सुनते रहोगे 
कब तक परेशान होते रहोगे 
कब तक उनके अनुसार चलोगे 
कुछ तो अपने मन की कर लो
कुछ तो मन की सुन लो
क्यों परेशान करना है उस दिल को
वह तो नाजुक है कोमल है
ऐसा न हो टूट जाएं 
बिखर जाएं 
तब फिर जुड़ना मुश्किल है
टूटे हुए मन के साथ
रहना आसान नहीं 
मुस्कराना भी मुश्किल है
तब मन की सुने
कुछ मन मौजी हो जाएं 
खिलखिला कर हंसे
जम कर ठहाके लगाए
सब कुछ छोड़ छाड बस दिल के साथ
Forget it 

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