कब तक परेशान होते रहोगे
कब तक उनके अनुसार चलोगे
कुछ तो अपने मन की कर लो
कुछ तो मन की सुन लो
क्यों परेशान करना है उस दिल को
वह तो नाजुक है कोमल है
ऐसा न हो टूट जाएं
बिखर जाएं
तब फिर जुड़ना मुश्किल है
टूटे हुए मन के साथ
रहना आसान नहीं
मुस्कराना भी मुश्किल है
तब मन की सुने
कुछ मन मौजी हो जाएं
खिलखिला कर हंसे
जम कर ठहाके लगाए
सब कुछ छोड़ छाड बस दिल के साथ
Forget it
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